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लेखनी प्रतियोगिता -30-Dec-2021

रवि की बारात


"सालो किस बस में चढ़ा दिया, एक घंटे का कहकर दो घंटा हो गया लेकिन गाव नहीं आया अब तक?" रवि चील्ला उठा।

अफ्लू को पुछ। कमीना कंडक्टर है या कुली? अबे एक घंटे की जगह दो घंटे क्यों हो गये?' राहुल का चेहरा भी गाव की मट्टी की धूल जो बस की खिड़की से अंदर आ रही थी उसे खाकर मेमने जैसा बन गया था।

अफ़्लू उर्फ़ आफ़ताब, बस का कंडक्टर, अपनी खाकी वर्दी के शर्ट को अन्दर करता हुआ (क्यूकी पतलून जाने किस वजह से बार बार अन्दर सरक जाता था और उसका हुलिया ही ऐसा था कि किस एंगल से देखा जाये यह पता नहीं लगता था। गोल शरीर, बिलकुल बौना, छोटे छोटे पैर, सारे शरीर पर जांबुवंत जैसे बड़े बड़े बाल और बार बार चड्डी पतलून से बाहर आ जाती थी तो अपने शर्ट से हमेशा उसे ढकने की नाकाम कोशिश करता रहता था, इसिलिये दोस्तो ने उसका नाम ‘अफलातून’ रख दिया था)

अफ्लु बोला,"अबे बत्ती (राहुल का नाम-क्युकी उस के दिमाग की बत्ती बार बार गुल हो जाती थी और दात की बत्तीसी ज्यादा दीखाई देती थी तो दोनो का शॉर्टकट बत्ती नाम रख दिया गया) तू चुप बैठ अबे, इस रास्ते पर बस हिच अच्छी रहती है। कार से जाते तो अजुन तालक गाव के खड्डे की उठकबेठक से बैठने के वास्ते बचते ही च नहीं और लड़की के अब्बू के सामने एक तरफ बैठने के भी वान्धे हो जाते?”

 कामेश, ​​"तो ट्रैन से जाते ना आराम से सोते सोते ?

अफलू,"चुप कम्मो रानी (कामेश इतना पतला था कि उसे सब कम्मो नाम से बुलाते थे, वैसे वो सब से ज्यादा खूबसुरत था हैंडसम नहीं हम्म) तू जब सो रेला होगा तब ही च कोई तेरा रेप कर डालेगा देखना। रेलवे अपुन के अब्बूजान की नहीं जो ताऊ (रवि) के वास्ते पेशल पटरी बिछाता और ट्रेन चलाता। और शादी तेरे कू करनी है या ताऊ को? 50 लड़किया देखी साले ने लेकिन किसी को ताऊ गले पडे ये मंजूर नहीं?

रवि,"चुप, अफ्लू, अपने गाव में सब से ज्यादा मैं पढालिखा हूं तो घरवाली भी पढीलिखी ही चाहिए ये शर्त थी मेरी। एक भी ज्यादा पढ़लिखी नहीं मिली तो मैं क्या करू?”

राहुल, "ज्यादा पढ़ा लिखा?" फेफसाफाड हसते हुये बोला," ताऊ तू फेल होते होते आधा गाव के साथ पढ़ा हुआ है। इसे कहते हैं ज्यादा पढ़ा लिखा क्या?”

अफ्लू ने इस बात पर राहुल को ताली देने गया और बस एक खड्डे में गई और बाहर निकली। अफलु पहले तो अपना संतुलन खो बैठा और सिधा ऊपर उछला फिर नीचे गीरा और आपनी कंडक्टर की सीट उसे लग गई।

"ऊउउह्ह्ह्ह" जैसे ही चिख निकली की कामेश, ​​"देख अफ्लू तेरे बाप की बस ने तुझे ही धो डाला।"

जैसे ही अफलू अपनी सीट पर वापस बैठा, उसकी सूरत धूल, मट्टी के घाव से रणप्रदेश के प्राणी ऊट जैसी बन गई। जबड़े खुल्ले और उसमे से बत्तीसी दिखाई दे रही थी। उसे देखकर ही सब की हसी छूट गई।

रवि ने राहुल को पकडते कहा,"बत्ती, रहने दे तू भी तीन बार फेल हो चुका है?"

इस बार अफ्लू ने रवि को ताली दी और जोर से हस दिया।

कामेश बीच में बोल पड़ा, "और आफ्लू तू तो बोल ही मत तुने तो जाने कहा से सर्टिफिकेट चुराकर नौकरी पाई है।"

आफताब, "अपुन सरकारी जमाई तो बन गया न वरना ताऊ की तरह खेत में बैल की जगह अपुन को ही जुडना पडता। या बत्ती की तरह टेलर मास्टर... खद्दद कई बार अम्मा के कपडे बेटी को काम आ जाते हैं और बेटी की अम्मा को एसा तो नाप लेता हैं सारे गाव का।"

राहुल,"कम से कम मेहनत की रोटी तो खाता हूं, तेरी तरह नहीं है मोटू, टिकट काटता है या जेब? कभी चिल्लर वापस ही नही देता है पेसेंजर्स को उसमे से साला चाय पीता रहता है।

आफताब, "अबे धीरे बोल सब सुन रेले है। अपुन की इज्जत लुट रेले हो सब के सामने ही च।"

रवि ने सब पेसेंजर्स को देखते कहा,"सब भेड बकरियो का ध्यान अपनी अपनी जगह समालने में है। एक तो फेविकोल की ऎडवर्टाइज्मेंट है या बस यही पता नहीं चलता। इतनी भारी भिड़ और उबड खाबड् रास्ते ने तो मेरी….”

"समज गये भाइ। आगे मत बोलसब एक साथ बोल उठे और उस का मुह बन्ध कर दिया।

ये चार दोस्त एक साथ कोइ गाव मे रवि के लिए रिश्ता देखने जा रहे थे। आज तक पचासो लडकिया रवि देख चुका था लेकिन बेहतर शिक्षित कन्या के चक्कर में उसके तीन दोस्तों के यहां दो दो औलादे हो चुकी थी। और ये अभी तक कन्या को देखते देखते बेहाल हो रहा था।

रवि एक डायरी भी लिखता था लेकिन सिर्फ उन लड़कियो के बारे में लिखता था जिसके साथ उसका रिश्ता तय नहीं हो सका। डायरी में तारीख, कन्या का नाम, गाव, उम्र और अस्वीकृति की वजह ऐसी कॉलम भी रखी थी। और जिस रिश्तेदार या दोस्त या सबन्धी ने उसे लड़की दिखाइ हो उसका नाम लिख कर उस पर सर्कल मारता था और मन ही नम उन सारे रिश्तेदारो और सम्बन्धीओ से बदला लेने के चक्कर में तीन घंटे बरबाद करता था। एसा सोचते सोचते कई बार गली के कुत्ते पर जा गिरा था। तीन-चार बार सड़क के खड्डे दिखाई नहीं दीये थे और कई बार पत्थर को लात मारता था। इसी हालत में काई बार जगडे भी कर चुका था।

कन्या के लिये पहले रविभाइ ने अपने स्टांडर्ड बना रखे थी की लडकी डबल ग्रेजुएट होनी चाहिये....फिर जब दो साल तक कोइ नही मीली तो स्टांडॅर्ड गिराकर   ग्रेजुएट...उसे मे भी दो साल गये, फ़िर 12वीं पास, 10वीं पास और अब तो कन्या को अक्षरज्ञान देने को भी तैयार था। आज 37 का हुवा था लेकिन शादी के लिए ऐसा व्याकुल था जैसे बरसात में मेंढक् टाउ टाउ करता रहता है। धीरे धीरे शादी के लिए इतना पागल हो गया की किसी और की शादी में डीजे बजाता था तो कहता था की दुसरी गली में जाकर बजाओ मुझे जलाने आये हो क्या?

सामने शादीवाले भी कहते हैं कि शादी यहा और डीजे बजाने दुसरी गली में जाये ऐसा क्या? और जगडा हो जाता था।

रवि के माबाप बिल्कुल सीधेसादे छोटी सी जमीन वाले थे। पढाई के चक्कर में रवि अपने आप को किमती हीरा समजता था और माबाप की समस्या को समजने की शक्ति खो बैठा था। ये अर्वाचिन भारत की कमनसीबी थी की कामधंधा न पाकर युवा पीढी कहा जाकर चने के झाड पर बैठ जाती है। अपने मा-बाप को वो लड़की देखते समय दूर रखना पसंद करता था इसिलिए हमेशा राहुल के साथ जाता था।

लेकिन दो बार ऐसा हुआ की लडकी और उन के घरवालो के साथ बात बनते बनते बिगड़ गई। वो तो बाद मे पता चला की राहुल ज्यादा स्मार्ट दिखता था तो लड़की वाले उसे लड़का समज बैठे और रवि को लड़के का बाप समज बैठे थे। और बत्ती दोनोबार ऐसी गंभीर स्थिति में बिना कोई स्पष्टीकरण किये बिना ही वापस चला आया था। इसिलिए इस बार रवि ने उसके ऊपर कामेश और आफताब को भी साथ लिया था। आफताब बस कंडक्टॅर था इस की वजह से चारो मुफ्त में यात्रा कर रहे थे।

जैसे ही गाव आया और चारो उतरने गये की रवि को पिछे से किसी बच्चेवाली औरत ने धकका दे दिया, रवि फिल्मी स्टंट की तरह बस की पहली पादान से सिधा रोड पर जा टपका। सफेद शर्ट जो कब का धूल से ब्राउन रंग पकड चुका था अब उसमे दो काले धब्बे लग गए।

ये देखजर बत्ती उछलकर हस पडा और बोल उठा, "ताउ, तेरी आज भी शादी हो चुकी।"

ये सुनते ही रवि ने उसे एक रफाडा लगा दिया और बत्ती चुपचाप उसकी मट्टी साफ करने लगा। सब से पहले रवि के माथे पर पट्टी लगानी पड़ी। उसके ऊपर राहुल आपनी धुन में मस्त गाना गुन गुना रहा था, "सुहाना सफर और ये मौसम हसी हमे डर है हम खो न जाये कही....।"

और रवि की कमान छटक गई,"अबे बत्ती ये सुहाना सफर था क्या? साले इसमे खो नही मर ही गये थे।"

"ओह सॉरी सॉरी यार चल छोडना पहले चाय पिते है," राहुल ने बाजी समालने की कोशिश की।

रवि, ​​"चाय गई तेल लेने पहले तू लड़की के घर खबर देकर आजा की हम लोग कुछ ही देर में पहुच रहे हैं।"

लेकिन राहुल जाने को राजी नहीं हुआ वो तो बाद मे पता चला की उसे डर था की ये लोग अकेले चाय पी लेंगे और उसका भाव भी नहीं पूछेंगे। बाद में तय हुआ कि उसके आने के बाद ही चाय का ऑर्डर देंगे। जैसे ही वो गायब हुआ की हुआ ये की चायवाले ने चाय दे दी।

रवि, ​​"ए, अफ्लू चल तीन भाग कर बत्ती के आते आते चाय ठंडी हो जायेगी।" रवि का इतना बोलते ही सामने दिखाई देता हुआ मंदिर के पिछे से राहुल दौडता हुआ वापस आया,"निकम्मो मुजे पता था की मेरी चाय पी जाओगे इसिलिए मैं गया ही नहीं हूं।"

रवि की फिर छटक गई, "इस साले के मुह में गरम गरम चाय डाल तभी ये बत्ती सुलगेगी। एक चाय के लिये मर गया सनकी कहीं का," और सच में अपने भाग की चाय पिकर ही बत्ती गया।

पिछलीबार की दो वारदातो से, लड़की के घर जाने से पहले ये तय हुआ की जरुरत पडने पर ही राहुल अपनी जुबान खोलेगा वरना चुप बैठेगा। और जाते ही कामेश को सब का परिचय देना होगा और ज्यादा से ज्यादा बात वही करेगा।

लेकिन घर में जाते ही सब को शॉक लगा क्योंकि लडकीवालो की और से कोई उसका स्वागत करने भी नहीं आया। बरामदे से ये चारो तो धीरे-धीरे अन्दर घुस गये तो देखा का सारा परिवार जेठालाल की सीरियल में मस्त है। सब को देख के लड़की का बाप बोल उठा, "आइये आईये" सब ने नमस्ते की और लड़की का बाप फिर बोला, "आप थोड़ी देर बैठिये तब तक हम जरा जेठालाल को खतम कर दे।“

इसे सुनकर कामेश की हसी मुह में बरस उठी," ताऊ तेरी सात पुष्तो के लिए कोई चिंता की बात नहीं रहेगी। सारे पिल्ले टीवी ही देखते रहेंगे।

आफताब तो कानाफुसी में बोल उठा, "बिडु, अपुन को तो ये समज नहीं आता की ये औलाद कब पैदा करेगा?"

अब लड़की के घर पे रवि की हालत ऐसी थी जैसे बिना हाथ लगाये सारे दोस्त तमाचा मारे जा रहे थे और गाल लाल रखकर वो बैठा था।

खैर जैसे तैसे सीरियल खतम हुई और बातचीत शुरू हुई। परिचय पहले ही कामेश ने करा दिया मतलब हो गया ता की फिर से गलती की कोइ गुंजाइश ना रहे। लडकी की माताजी ने रवि के सिर पर पट्टी देखकर पुछ लिया की क्या हुवा?

इतना मना कीया था लेकिन बत्ती फिर भी बोल उठा,”वो क्या है आंटीजी, एक औरत......अभी वो कुछ आगे बोले और इज्जत का फालुदा ना हो इसिलिये कामेश ने फिर से सम्भाल लिया,”वो पैर फिसल गया था”।

फिर लड़की आई चाय लेकर। सीधी सादी लेकिन मोटी और आंखो पर चश्मा जिस के बीना वो देख ही नही पा रही थी। रवि तो देखते ही शोक्ड था। कामेश समज गया और फुसफुसाया,”ताउ अब ज्यादा खीटपीट नही करना वरना कोइ और नही मिलनेवाली।

बत्ती तो जोर से बोल भी पडा,”अब शादी तो दो पहियो जैसी है। एक बडा और एक छोटा पहिया होगा तो भी चलाना ही पडेगा ना।“

रवि उतरा हुवा चेहरा देखकर कामेश फुसफुसाया,” अबे साले, दो पहिया तो ठिक है लेकिन एक ट्रेक्टर और एक स्कुटर का हो तो कैसे चलेगा?”

अफ्लु,” अबे ताउ को थोडे ही हल चलाना है? ट्रेक्टर का हो या स्कुटॅर का चलेंगा।“

कामेश ने तो फिलसुफी ही जाड दी,”देख भाइ शादी के लिये मना नही करना वरना मेहन्दी हाथो की जगह बालो मे लगाने के दिन आ जायेंगे फिर भी शादी नही होगी।

लडकी को तो देखकर ही पता लग चुका था की उसे रवि पसंद आ गया था। वो तो बाद मे पता चला की आई (लडकी) को कोई देता नहीं था और यहा आता (रवि) को भी कोई लेता नहीं था।

अब मरता क्या न करता तो रवि तैयार हो ही गया। और वैसे भी सावन के अंधे को सब हरा ही हरा नजर आता है।

कुल मिलाकर पपलू तो फिट हो गया था लेकिन कैजुअल बाते चल रही थी। लड़की के बाप ने पुछा..

"श्रीमान क्या करते हैं आप?"

अब रवि को एक प्राइवेट स्कूल में बडी मुश्किल से नौकरी मीली थी तो टीचर था और साइड मे टयुशन भी कराता था। लेकिन अपने छोटे से खेत में मजदूरी भी कर लिया करता था ता की ज्यादा पैसे बरबाद ना हो। कामेश ने नौकरीवाली बात तो बता दी थी और फिर से बता भी दी.....लेकिन राहुल की बत्ती स्पार्क हो उसके पहले जुबान स्पार्क हो गई और नही बोलना था वो भी बोल ही दिया, "वैसे आजकल बैल की कमी है तो रविभाई खेत मे हल भी चला लिया करते है वो क्या है की पैसे भी बच जाते हैं और सेहत भी अच्छी रहती है।" और रवि का चेहरा गुस्से और शरमिन्दगी से लाल हो गया। सब राहुल की और घुरने लगे थे।

"अच्छा" कहकर लडकी के बाप ने बोल दिया, "ये तो बड़ी अच्छी बात है... और मेहनत से बड़ी कोई चीज नहीं है। भारतदेश खुद एक किसान की पहचान है। इतना सुनते ही रवि को कुछ सुकुन मिला।

कोई कुछ बोले इस के पहले बत्ती की जुबान फिर से फिसली, ''अरे पहचान तो अपने रविभाई की बहुत अच्छी है एकबार जन्माष्टमी पर हम गाव में पत्ते खेल रहे थे तो पुलिस आ गइ। अपने रविभाई शिक्षक है तो हम सब तुरंत लॉकअप से रिहा हो गए। हमारे गाव में सब से ज्यादा रविभाई पढे है करीब 30 साल पढे है और इतने भले आदमी है की इसे जब पैसे की जरूरत पड़ने पर हम दोस्त जल्दी ही मदद कर देते हैं।

अब इतने सारे गुण सुनकर और बाजी बिगडे उसके पहले कामेशभाई ने बात संभाल ली और एक सप्ताह के बाद शादी का भी तय हो गया और फिर सब खाने को बैठे।

पूड़ी, अंगूर-रबडी, दाल-चावल, सलाड पापड़ जैसे ही आया तो अफ्लू ने जैसे ही पूरी पकड़ी, टुकड़े ही नहीं हुए इतनी रब्बर जैसी थी। दोनो हाथ से खिच के बड़ी मुश्किल से पूरी तोड़ी। उस ने बडी मुश्किल से पुडी खाइ और आजू बाजू देखासब की ऐसी ही हालत थी। लेकिन बत्ती ऐसी पुड़िया तीन बार लेकर खा चुका था। इतनी जल्दी खाते खाते उसके कपडे पर कहीं जगह नहीं बची थी जहां दाग ना लगे हो।

बत्ती ने अंगुर-रबडी ज्यादा मांगी तो लड़की के बाप ने कहा, "माफ कर देना भाईयो..वो क्या है की सुबह बिल्ली ने अंगुर-रबडी को चाट लिया था। अब जीतने दूर तक बरतन में उस बिल्ली ने चाटी थी उतने दुर तक बरतन से निकालते निकालते आधे से ज्यादा खतम हो गई। फिर जेठा की सीरियल के वास्ते हम दुसरी लेना भूल गये और अब तक तो मिठाईवाला भाग गया होगा…..”

सब दोस्तों के मुह फटॆ के फ़टे रह गये। एक बत्ती ने फिर भी हिम्मत कर के बाकी बची रबडी खा ही ली। अफ्लू ने बात समाली और सब वापस मुड लिये…..

*******

...और रवि की शादी का दिन आ गया। रास्ते देखकर बारात अफ्लू की बस में ही निकालनी पड़ी। केवल सात दिन का समय होने से जल्दबाजी मे बत्ती ने गलती से रवि भाइ की जगह अफ्लु की साइज की शेरवानी बना डाली। अब अफलू हाइट में छोटा और शरीर में मोटु था जब की रवि को उस के साइज की शेरवानी छोटी पड़ी लेकिन शरीर पतला होने से ऐसा लग रहा था जैसे फ्रीज का कवर काट-छाट के फ्लेट टीवी को पहना दिया हो। शेरवानी को बत्ती ने अपने हाथो से तीन बार प्रेस किया था तो शरीर से काफी दूर रहती थी। इसिलिए बैठने पर रवि का पेट ना होते हुए भी सागर दिखता था।

नीचे सलवार शॉर्ट था हाइट की वजह से इसिलिए उसे कमर से थोड़ा नीचे सरकाकर पहना हुआ था। फिर भी पैर थोड़े खुल्ले रह गये तो उसी कलर के शॉक्स पहन ने पडे और फिर मौजडी पहननी पड़ी। अब पैसो की कमी की वजह से रवि ने अफ्लु की मौजडी से काम चलाना चाहा लेकिन अफ्लू की जोड़ी बडी होने से रविभाई के पैरो में जगह बच गइ जिसमे दूसरी जोड़ी शॉक्स से जगह दबानी पडी तब जाकर रवि चल सकने के काबील बन सका।

हेयरकलर ताजा लगा था इसिलिये माथे पर दाग रह गये थे और ऊपर से फेशियल कराने की वजह से कहीं कहीं ब्लैक एंड व्हाइट धब्बे बन चुके थे। इसिलिए पगड़ी जैसा पहनाया गया जिस की वजह से रवि का सर टाइट हो गया और हिलाने के काबिल नहीं रह गया।

शादी का मुहरत दोपहर का था इसिलिये सुबह बस से बारात निकली। लेकिन रास्ते में बीन मौसम बारिश हुई। ऐसे मे रास्ते के बीच में एक नाला आया और वहा से इतना सारा पानी जा रहा था की बस वहा रोकनी ही पड़ी। एक तरफ गरमी से परेशान और दुसरी तरफ बस की बारी में से आती बुंदे की वजह से आधे से ज्यादा बारातियो की हालत खराब थी। ऊपर से अचानक सीट की ऊपर से धडाम से पानी गिरा जिस पर रवि बैठा था। आधी सेकेंड में रवि का चेहरा भीगे मुर्गा जैसा हो गया।

शेरवानी चिपक के ऐसी हो गई की किसी अलमारी को परदे से ढका हो ऐसा हुलिया हो गया रविभाई का। मौजडी में पानी घुस गया तो शॉक्स ऐसे हो गये की चलने पर जोड़ी में से चारो और स्टीरीयोफिनिक म्यूजिक के साथ फव्वारे छुटते थे। मन ही मन गालियों का पुरा शब्दकोश खाली कर बैठा था रवि और फिर भी मन शांत नहीं हुआ तो बार बार हाथ में पडे श्रीफल पर जोर देता था। भीगा हुआ नारीयल के सुखे पत्ते रविभाई की कलाई के ऊपर धीरे धीरे चूड़ियो का आकार ले रहे थे।

माथे का तिलक का रंग जैसे पहाड़ियो से टपककर पानी के साथ मिलकर एक नाली बन चुका था सिर से नाक और नाक से गले और छाती से सरककर सलवार को लाल रंग मे परिवर्तित कर रहा था। शेरवानी का कलर ब्राउन होने से ज्यादा तकलीफ से बच गया फिर भी छाती पर ऐसा हलका सा आकार पड चुका था जैसे हनुमानजी छाती चिरकर बैठे हो।

रवि और सारे बाराती वैसे ही परेशान थे और ऊपर से बस के ड्राइवर ने गीत बजाने चालु किये….’ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं….

ऐसा गीत बारात के वक़्त नही बज सकता ऐसा सब के मना करने पर दुसरा गाना बजाया…..’कुर्बानी कुर्बानी कुर्बानी अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी

उस गाने को भी मना करने पर एक और गाना…. .’कहता है जोकर सारा जमाना आधी हकीकत आधा फसाना...’ जब फिर से सब ने मना किया तो ड्राइवर की सनक गई और बोला अब जो बजेगा वो ही बजेगा वरना बस मैं नहीं चलाउंगा। और सब चुप हो गये और गाना सुनते रहे …… ‘बाबूजी धीरे चलना प्यार में जरा संभलाना बड़े धोखे है इस प्यार मैं……

बिन मौसम बारिश और नाले मे हद से ज्यादा पानी होने से बारात पहुचने मे देरी हो गइ और अखिर शाम तक पहुचे तब कन्यापक्ष के बहुत से महेमान शादी के लिये रुके बीना खाना खाकर भाग गये थे। वैसे भी मेह्मानो को शादी से कोइ लेना देना होता नही है, उन के लिये सिर्फ खाना और बहाना ये ही मायने रखते है।

अब बाकी बचे चंद गाव वालो ने बारात का स्वागत किया। बारातियो ने सब से पहले सूबह के बचे कुचे खाने पर आक्रमण किया। एक कमरे में रविभाई को सारे कपड़े निकालकर कैद कर के बत्ती ने फिर से पुरा ड्रेस प्रेस किया तब जा के रविभाई को होश आया। मुह धोया तो तिलक, हेयरडाइ और फेशियल के कलर से फुलगुलाबी हो गया और पुराने जमाने के कलर टीवी में जैसे अलग अलग रंग के धब्बे दिखते थे वैसा हो गया लेकिन तब तक शाम ढल चुकी थी।

फिर बेंडबाजा के साथ बारात निकली। पैसो को बचाने के चक्कर मे कार का तो सवाल ही नहीं था और एक घोड़ा लाया गया था। जिस पर रविभाई को बिठा दिया गया। अब शेरवानी छोटी थी तो तुरंत ऊपर चढ गई। पेट निकल आया और सलवार तो घुटनो तक उपर उठ गयी थी और मौजडी गीर गई और दुसरी जोड़ी मौजा भी सरक गया।

इज्जत का फालूदा समेटकर सारे दोस्तो ने रविभाई को इर्द गिर्द घेर लिया और तय हुआ की वे तीनो साथ साथ ही चलेंगे। और बेंडबाजा ने जैसे ही संगीत शुरू किया……आज मेरे यार की शादी है….सब से पहले घोड़ा टट्टार हुआ और ही..ही.. आवाज कर के दौडने लगा। जैसे ही पह्ली बार घोडा कुदा की रविभाई उछलकर नीचे गिरने लगे। दोस्तो की दोस्ती की उस समय रविभाइ को लाइफ मे सब से ज्यादा कद्र हुइ क्युकी तीनो ने उसे जमीन पर गीरने नही दिया और अपने हाथो पर जेल लिया। कुछ लोग तुरंत घोडे के पीछे दौडे।

पुरे गाव का चक्कर काट के 10 मिनट में घोड़ा अपने आप वापस आया। बहुत छानबीन के बाद पता चला की कन्यापक्ष में जिस को घोडे लाने का काम सौपा गया था वो पुलिस में था और पुलिस बेंड का घोड़ा लेकर आया था। ऊपर से वो बंदा तो तारीफ कर रहा था, "अब हमारे यहां परेड में बेंड बजता है तो सब से पहले नंबर पर यही घोड़ा आता है।" क्या भाई ये परेड नहीं है ये उसे कौन समजाये।

बड़ी मुश्किल से 10 मिनट में ज़ुलुस समेटना पड़ा। फिर मंडप में तो जैसे ही कन्या का आगमन हुवा लगता था की मजदुरो की फौज एक पीप को धकेल रहे हो। फिर भी कन्या की एक नजर के लिये रवि मेंढक की तरह उसे देखने को तरस गया लेकिन कन्या घुंघट मे जो थी। बहुत कोशिश करी रविभाइ ने उस का मुह देखने की और इसिलिये बार बार चेहरा दाइ और बाइ बार घुमाने से तीनो दोस्तो के साथ कम से कम एक बार टकरा गया। बत्ती तो बाल बाल गीरने से बचा।

खैर चेहरा तो देखने को नही मीला लेकिन तीनो दोस्तो ने बारी बारी रवि को यहा वहा लात लगा ली थी। अब कन्या ने रवि को फुलो का हार पहनाया। फुलो के हार मे से उन गुलाबो के फूल से निकलते ठंडे पानी ने रवि के शेरवानी की ना तो धुलाई की लेकिन रविभाई की छाती में इतनी ठंड घुस गई की भीगे कबूतर की तरह फडफडाने लगा। फिर भी कोई भी कन्यापक्ष की और से शर्मिंदा नहीं हुआ। अफ्लु ने पता लगाया तो पता चला की ये फुलो का हार अगली रात से पहेले फ्रीज में रखा गया था और उस के बाद पिछले 8 घंटे से बर्फ में रखा गया था। अब बारात देर से होने से पूरा फुलहार पानी से लथबथ हो चुका था। खैर सब के सामने रवि ठंड से फडफडाता रहा लेकिन कुछ कर भी तो नही सकता था ना।

अब फ़ेरे शुरु हुये। पहेले तो जैसे ही फेरे शुरु हुये की फुलहार मे से एक एक फेरे में धीरे धीरे गुलाब ज़डने लगे। उधर फेरे समाप्त और इधर रविभाई के गले में सिर्फ दोरी बची थी। लगता था की सजा-ए-मौत की सजा काटने के लिये कैदी खड़ा हो और उसके गले में फासी का फंदा।

यग्नकुंड की अग्नि मे रविभाइ बार बार अपने हाथ शेक्ते रहे और ऐसे मे कइ बार अग्नी की ज्वाला हाथ से छु जाती थी तो नारियेल की वजह से जो हाथ पर कलाइयो मे कंगन के नीशान जो पडे थे उस मे और नीखार आ गया। अब तक रात ढल चुकी थी। शादी तो दोपहर का मुहुर्त था और कन्या विदाइ शाम को थी। लेकिन यहा तो शाम को बारात पहुची थी और कन्या विदाइ को देर हो गयी ती मतलब रात हो चुकी थी। सभी बारातीयो को अब भुख लगी थी। किन्तु कन्या पक्ष की और से सिर्फ चाय आइ। बत्ती तो पुछ के भी आ गया की खाने का क्या प्रोग्राम है तो जवाब मिला की विदाइ के बाद खाना नही दे सकते और पुरी बारात भुखी ही वापस लौट गइ।

खैर आखिर मे शादी संपूर्ण हुई।


#लेखनी

#लेखनी कहानी प्रतियोगीता

 

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9 Comments

Kiran Tawri

01-Jan-2022 10:24 AM

Dost h to sab taraf zannat hi zannat h... itni muskilo k baad finally Ravi ki shadi krwa hi di.... beautiful story.

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PHOENIX

01-Jan-2022 11:25 AM

हमारे दोस्त जो ठेहरे, शादी तो करवानी ही थी। धन्यवाद आप का ।

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Shrishti pandey

30-Dec-2021 11:56 PM

Very nice

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PHOENIX

30-Dec-2021 11:57 PM

Thanks...

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🤫

30-Dec-2021 10:16 PM

वाह क्या कहानी है।🤭😂😂🤣🤣 मजा आ गया पढ़ते हुए। यही वो कहानी है जिसके चर्चे शहर में हुआ करते हैं। ऐसा लग रहा था हम भी बारात का हिस्सा बन गए हो। महाभारत के संजय के जैसे हमे भी दिव्य दृष्टि मिल गई हो साक्षात देखने के लिए। 😂🤭 हास्य में भी आपका जवाब नही। पेट दर्द हो होने लग हंसते हंसते। जानदार लेखन है आपका, बहुत बढ़िया कहानी।🤣🤣😂😂

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PHOENIX

30-Dec-2021 10:35 PM

😊 चलिये इसी बहाने हमारी एंजेलजी खुल के हस दिये आज तो।

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🤫

30-Dec-2021 10:44 PM

Ham bhaiya...

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